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कुछ कहना चाहता हूं...

सुनो तो, तुमसे कुछ कहना चाहता हूं मैं एक गजल लिखना चाहता हूं तुम्हारी खूबसूरती को शब्दों में पिरोना चाहता हूं गजल गुनगुनाना चाहता हूं तुम्हें सुनाना चाहता हूं पास बैठो तो जी भर देखना चाहता हूं तुम्हारी हंसी को दिल में उतारना चाहता हूं तुमसे इतना सा कहना चाहता हूं जिंदगी में कुछ कदम साथ चलना चाहता हूं तुझमें खुद को फ़ना करना चाहता हूं तुमसे बस इतना कहना चाहता हूं तुम्हारे संग कुछ पल हंसना चाहता हूं रूठो तो मनाना चाहता हूं एक आखिरी तमन्ना मैं पूरी करना चाहता हूं जहां छोड़ने से पहले तेरे कंधे पर सर रखकर रोना चाहता हूं तुमसे बस इतना सा कहना चाहता हूं

एक मुलाकात हजरत गंज से

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कल शाम मित्र रोहन तिवारी जी के साथ हजरत गंज घूमने का प्लान बना और निकल लिए यायावरी करने | गजब की रौनक होती है अवध की शाम में, अभी तक सुना ही था कल देखा भी | दुधिया रोशनी में नहाई सड़कें और इस पर लगे एक जैसे लैम्प पोस्ट एक लय बना रहे थे | बीच बीच में दुकानों पर लगे छिटपुट पीले और लाल रंग झालर एकरसता को तोड़ रहे थे | दोनो लोग पैदल लेन पर बढ़े जा रहे थे बेफिक्र और बीच बीच में तिवारी जी एक मझे हुए गाइड की तरह बताए जा रहे थे, कभी परिवर्तन चौक के बारे में तो कभी लेन की खासियत | लेकिन इन सब के साथ साथ हमारी नजरें काफी हाऊस पर टिकी थी | पता नहीं क्यों पिछले कुछ दिनों से काफी हाऊस काफी आकर्षित करने लगा है, यह पहली बार नहीं थी कॉफी हाऊस देखने की लालसा, अभी इलाहाबाद गया तो वहां भी कॉफी हाऊस गया था |  खैर दोनो लोग उत्तर प्रदेश, अवध को कभी अन्य विषयों पर चर्चा करते हुए कब जीपीओ पहुंच गए पता नहीं चला | कॉफी हाऊस की तरफ अशोक मार्ग पर मुड़ा ही था कि लेन पर लगी एक बुक स्टाल पर बरबस ही नजर ठहर गई | एक महिला किताबें देने में मशगूल थी, सांवला मेक अप विहीन चेहरा था जिस पर रह रह कर पसीनें की बूंदें ल