केजरी-मोदी विवाद: हम तुमसे दो नहीं चार कदम आगे
दिल्ली सचिवालय पर अचानक छापे के बाद अरविंद केजरीवाल का संयम खोना भले ही खराब लगे और उनकी भाषा के गिरे स्तर को उनकी घटिया राजनीति कह कर प्रचारित किया जाए पर इसमें कोई संदेह नजर नहीं आता कि सीबीआई ने छापा पीएमओ के ही इशारे पर ही मारा। इस मामले में उसकी नियति पर भी शक करने के कई बुनियादी प्रमाण हैं। सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है और समय समय पर उसका इस्तेमाल केन्द्र सरकारों द्वारा होता रहा है, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता। इसको पिंजड़े का तोता कोई और नहीं माननीय उच्चतम न्यायालय कह चुका है । उसने इसे एक स्वायत्त संस्था बनाने की भी पैरवी किया था। बीजेपी जब विपक्ष की भूमिका में थी तो यह हमेशा कांग्रेस पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाती रहती थी, लेकिन जब खुद सत्ता में आई तो उसी सीबीआई को पाक साफ बताने लगी। सीबीआई के थ्योरी में कितने छेद हैं यह इसी बात से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस समेत सभी दलों ने कितनी बार व्यापमं महाघोटाले की सीबीआई जांच की मांग की, एक के बाद एक कितनी मौतें हुईं लेकिन अभी तक सीबीआई के हाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दफ्तर तक नहीं पहुंच सक