युद्धरत और धार्मिक जकड़े समाज में महिला की स्थित समझने का क्रैश कोर्स है ‘पेशेंस ऑफ स्टोन’
फिल्म : पेशेंस ऑफ स्टोन
निर्देशक : अतीक रहीमी
अभिनेत्री : गोल्शिफतेह फराहानी
अभिनेता: हामिद जिवासन, मासी मरोत
धर्म से जकड़े किसी पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की स्थिति कितनी दमघोंटू हो सकती है, इसका एक नमूना पेश करती है पेशेंस ऑफ स्टोन | यह अफगान वार ड्रामा फिल्म धूल भरी गलियों और उड़ती गोलियों से होकर मिडिल-इस्ट के सामाजिक तानेबाने की कई परतें उधेड़ती है | फिल्म लगभग 30 साल की एक ऐसी महिला की कहानी है, जिसके पति की उम्र 60 के आसपास है | वह एक मुजाहिद्दीन होता है, लेकिन गर्दन में गोली फंसने से कोमा में है | महिला (गोल्शिफतेह फरहानी) कोमा में पड़े पति को चीनी और पानी का घोल ट्यूब के जरिए देती है | इस बीच, लगातार घर के बाहर बम फट रहे होते हैं ...उसके पास बमुश्किल चीनी और पानी खरीदने के पैसे होते हैं |
पुरुष
की देखभाल के बाद जो समय बचता है ..उसमें एक पैरालाइज पति से महिला का
लंबा मोनोलॉग है | जिसमें वह शादी के दस सालों की घटनाओं और दर्द भरे जीवन
को याद करती है | वह इस बात को लेकर शिकायत के अंदाज में बताती है कि 17
साल की उम्र में उसकी एक बहुत अधिक उम्र के व्यक्ति से शादी कर दी गई थी।|
उसके एकतरफा संवाद भय, गुस्सा और तत्कालीन हालत से उपजी हताशा से भरे होते
हैं | वह
अपने पैरालाइज पति को एक ऐसे पुरुष के रूप में चित्रित करती है जो युद्ध
का हीरो बना चाहता था लेकिन पारिवारिक रूप से बेहद असंवेदनशील और बुरा था।
पेशेंस
ऑफ स्टोन अफगानी फ्रांसीसी फिल्मकार और लेखक अतीक रहीमी के उपन्यास पेशेंस
ऑफ स्टोन पर आधारित है| जिसे 2008 फ्रांस का सार्वधिक प्रतिष्ठित
पुरस्कार प्रिक्स गोनकोर्ट मिला था | उपन्यास का टाइटल उस चमत्कारिक काले
पत्थर से लिया गया है जिसे पेशेंस स्टोन के तौर पर जाना जाता है| महिला
पिछले दिनों को याद करने के सिलसिले में बताती है कि उसके पिता ने उसकी
शादी एसे शख्स से की..जिसे वह पसंद नहीं करती थी | पति के रूप में वह बेहद
बुरा था । वह अपने भाई से इसे रोकने के लिए रोई-गिड़गिडाई और मिन्नतें की
लेकिन उसने भी रोकने से इनकार कर दिया था।
फिल्म
में महिला अपने अनएक्सप्लोर्ड सेक्सुअल डिजायर के साथ पति द्वारा किए गए
यौन दुर्व्यवहारों से पर्दा उठाती है | वह बताती है कि किस तरह पति द्वारा
उसका रेप किया जाता था | वहीं पीरियड्स के समय उसके साथ बेहद घृणा पूर्ण
व्यवहार होता था। आमतौर पर पतियों द्वारा किए जाने वाले यौन दुर्व्यवहारों
पर अभी भी बात करना उचित नहीं समझा जाता | इसे यह भी कह सकते हैं, माना ही
नहीं जाता कि पति पत्नी के साथ यौन दुर्व्यवहार कर सकता है | फिल्म इस
मुद्दे पर भी ध्यान खींचती है।
फिल्म
दूसरे हिस्से में अफगानी समाज के कई दोहरेपन को नंगा करती है | एक तरफ
धर्म के नाम पर सिर खोलकर न रहने जैसी तमाम तरह के कानून थोपते है, वही लोग
मौका पाकर महिलाओं को हवस का शिकार बनाते हैं | आखिर महिला के सामने दो ही
विकल्प बचते हैं, बंदूक के दम पर रेप बर्दास्त करे या फिर वही काम पैसे
लेकर करे | आखिर में वह पैसे लेना कबूल कर लेती है | इन पैसों से खाने के
सामान और पैरालाइज पति के लिए चीनी-पानी का घोल लाती है। धीरे-धीरे उसे
युवा सैनिक (मैसी मोरवाट) से प्रेम हो जाता है | वह सैनिक को प्रेम करना
सिखाती है और यह उसे जीने और खुश रहने का नया जरिया देता है।
पेशेंस
ऑफ स्टोन का अंत काफी नाटकीय है | आशा और निराशा के बीच तैरती हुई जैसे ही
वह अपने नए रिलेशनशिप के बारे में पैरालाइज पति से बताती है ...16 दिन से
कोमा में गया पुरुष होश में आ जाता है| उसके हाथ महिला के गले तक पहुंचते
हैं और गला घोंटने लगते हैं | खूनी पंजों से बचने लिए महिला पास में पड़ी
चाकू उठाती है और …..|
यह
जो आखिर में एक पूरी तरह से पैरालाइज पति का अचानक होश में आ जाना और औरत
का गला घोंट देना, प्रतिक्रिया में औरत का चाकू मारने का दृश्य है, काफी
गहरा संदेश देता है | यह समाज में सेक्स और प्रेम के टैबू को दिखाता है |
औरत की इच्छाओं और आकांक्षाओं के शब्द कान में पड़ते ही वह पागल होने लगता
है, कोमा की स्थिति में भी | शुरुआत में औरत (गोल्शिफतेह फरहानी) एकदम
चुप-चुप रहती है | लेकिन जब एक बार बोलना शुरू करती है तो चुप नहीं होती |
उसके भीतर बरसों से बर्फ की तरह जमी शिकायतें, पीड़ा और गुस्सा पिघलने लगता
है तो सैलाब बनकर बहता है |
फिल्म
के दूसरे पक्षों की बात करें तो यह दो वजहों से लंबे मोनोलॉग के बावजूद न
सिर्फ बांधे रखने में कामयाब होती है बल्कि उत्सुकता भी जगाए रखती है |
पहला कहानी का परत दर परत खुलना | महिला का जीवन समझना ऐसे समाज के क्रैश
कोर्स की तरह है जो धर्म से बुरी तरह जकड़े होने के साथ सिविल वार से तबाह
है | उसके आसपास के लोग घर छोड़कर भाग चुके हैं | कोई भी पीड़ा सुनने वाला
नहीं है | जीवन इतना अनिश्चित है कि कभी भी किधर से भी गोली या रॉकेट
लॉन्चर का गोला आकर सब खत्म कर सकता है | दूसरा फैक्टर अभिनेत्री
गोल्शिफतेह फरहानी का अभिनय है | वे आंखों और चेहरे के बदलते भावों को इतनी
बारीकी से बयां करती हैं कि आप देखकर अभीभूत हो जाएंगे |
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